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23 March 2015

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत का एक राजनैतिक दल है, जिसकी स्थापना ब्रिटिश राज में 28 दिसम्बर 1885 को ए0 ओ0 हा्रूम ने 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति के साथ 28 दिसम्बर 1885 को बोम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी। इसके प्रथम इसके प्रथम महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) ए0ओ0 हा्रूम थे, एंव कलकत्ता के वोमेश चंद्र बैनर्जी प्रथम पार्टी अध्यक्ष थे। इसके शुरूवाती सदस्य मुख्य रूप से बोम्बे और मद्रास प्रैजिडेंसी से थे।

अपने शुरूवाती दिनों में कांग्रेस का दृष्टिकोण एक कुलीन वर्गीय संस्था का था। कांग्रेस की सदस्यता के लिए अंग्रेजी में निपुर्णता और ब्रिटिश सरकार के प्रति भक्ति अनिवार्य थी। 

अपनी स्थापना के शुरूवाती 20 वर्षो तक कांग्रेस पूरी तरह निष्क्रिय और ब्रिटिश शासन के प्रति समर्पित उदारवादियों की नीतियों पर चलती रही।  यही वजह थी कि उस समय में कांग्रेस ने राष्ट्रीय आंदोलन को बढाने या स्वतंत्रता को प्राप्त करने की दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया। इसी दौरान राष्ट्रवादी नेताओं के कांग्रेस में प्रवेश ने स्थितियों में बदलाव किया जिसके परिणामस्वरूप वैचारिक स्तर पर कांग्रेस दो भागों में विभाजित हो गई।

कांग्रेस की सन् 1857 से 1947 तक चले भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अनेक दलों संगठनों समूहों और व्यक्तियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया यह सही है कि 90 वर्ष तक चले इस आंदोलन में कुछ दलों की भूमिका रही लेकिन इसका यह मतलब निकालना कि सिर्फ उन्ही की वजह से या उनके संधर्ष से ही देश स्वतंत्र हुआ , पूरी तरह से गलत और उन लाखों देशप्रमियों के साथ धोखा है जिन्होन अपने प्राण तक इस देश को आजाद कराने के लिए गंवा दिये।

1907 में कांग्रेस में दो दल बन चुके थे, गरम दल एव नरम दल। 
  • गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल कर रहे थे, इनहे लाल-बाल-पाल के नाम से भी जाना जाता है।
  • नरम दल का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता एंव दादा भाई नौरोजी कर रहे थे। 

गरम दल पूर्ण स्वराज की मांग कर रहा था। परन्तु नरम दल ब्रिटिष राज में स्वशासन चाहता था। प्रथम विशव युद्ध के छिडने के बाद सन् 1916 की लखनऊ बैठक में दोनो दल फिर एक हो गए और होम रूल आंदोलन की शुरूआत हुई जिसके तहत ब्रिटिश राज में भारत के लिए अधिराज्य अवस्था की मांग की जा रही थी।


1919 में जालियांवाला बाग हत्याकांड के पश्चात गांधी कांग्रेस के महासचिव बने। कांग्रेस कुलीन वर्गीय संस्था से बदलकर एक जनसमुदाय संस्था बन गयी थी। गांधी के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस कमेटियों का निर्माण हुआ, कांग्रेस में सभी पदों के लिए चुनाव की शुरूवात हुई, सभी भेद-भाव हटाए गए एवं कार्यवाहियों के लिए भारतीय भाषाओं का प्रयोग शुरू हुआ। 

  • अंग्रेजो की तर्ज पर एंव अपना वोट बैंक बनाने के लिए हिन्दु समाज को तोडने के लिए  मंडल आयोग का गठन कर  हिन्दु समाज को तोडने का प्रयास किया। चाहे देशा का सर्वनाशा ही क्यों न हो जाये।
  • आरक्षण का दंश दे कर देश के होनहार योग्य बच्चों का सम्पूर्ण भविष्य नष्ट कर दिया। 
  • राष्ट को बरबाद करने में कोई कसर नहीं छोडी।

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद से भारतीय कांग्रेस भारत के मुख्य राजनैतिक दलों में से एक रही है। इस दल के कई प्रमुख नेता भारत के प्रधानमंत्री रह चुके है। जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी इसी दल से थे।

जयप्रकाश नारायण ने सन्1974 में जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड फेकने लिये सम्पूर्ण क्रान्ति का नारा दिया। आन्दोलन को भारी समर्थन मिला। इससे निपटने के लिये इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया। इसका विरोध हुआ और जनता पार्टी की स्थापना हुई सन् 1977 में कांग्रेस बुरी तरह से हारी।

सोनिया गांधी आैर राहुल गांधी से आम जनता त्रस्त हो चुकी थी।   नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस को सत्ता से उखाड फेकने का नारा दिया आैर भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत से आई।

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